तन्तु तथा तन्तु के प्रकार

तंतु से वस्त्र तक

जो पदार्थ पतली और लगातार लड़ी के रूप में रहता है उसे तंतु कहते हैं।

तंतु के प्रकार

प्राकृतिक तंतु: जो तंतु पौधों या जंतुओं से मिलते हैं उन्हें प्राकृतिक तंतु कहते हैं। उदाहरण: रुई, जूट, रेशम और ऊन। प्राकृतिक तंतु दो प्रकार के होते हैं: पादप तंतु और जंतु तंतु। रुई और जूट पादप से मिलने वाले तंतु हैं। रेशम और ऊन जंतुओं से मिलने वाले तंतु हैं।

संश्लेषित तंतु: जिस तंतु का निर्माण मानव द्वारा होता है उसे संश्लेषित या संश्लिष्ट तंतु कहते हैं। उदाहरण: नायलॉन, एक्रिलिक, पॉलिएस्टर।

रुई

भारत में रुई की खेती महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, तमिल नाडु और मध्य प्रदेश में होती है।

रुई की खेती

रुई की खेती के लिए काली मिट्टी सबसे अच्छी होती है। रुई की खेती के लिए उष्ण जलवायु की जरूरत होती है। कपास के बीजों को बसंत की शुरुआत में बोया जाता है। कपास के पौधे झाड़ियों की श्रेणि में आते हैं और 1 से 2 मीटर लंबे होते हैं। लगभग 60 दिनों में कपास के फूल निकल आते हैं। कपास का फूल सफेद-पीले रंग का होता है। कुछ ही दिनों में ये फूल लाल हो जाते हैं। धीरे-धीरे फूल एक गोले में बदल जाता है जो अखरोट के आकार का होता है। इन्हें कपास के डोडे (बॉल) कहते हैं। कुछ ही दिनों में हरे डोडे (बीजकोष) भूरे रंग में बदल जाते हैं। पकने पर कपास के ये फल फूट जाते हैं, और उनमे से सफेद कपास दिखने लगता है।

कपास ओटना: पौधों से जो कपास चुना जाता है उसमें बीज भरे होते हैं। कपास से रुई को अलग करने की क्रिया को कपास ओटना कहते हैं। पहले इस काम को हाथों से किया जाता था, लेकिन अब मशीन का इस्तेमाल होता है।

कताई: तंतु से धागे बनाने की प्रक्रिया को कताई या कातना कहते हैं। धागे कातने की क्रिया इन चरणों में की जाती है।

  • कपास को फैलाया जाता है और साफ किया जाता है ताकि खर पतवार और सूखे पत्ते निकल जायें।
  • साफ रुई को मशीन में डाला जाता है। इस मशीन में रुई को धुना जाता है और तंतु को सीधा किया जाता है।
  • फिर इसे एक रस्सी जैसी संरचना में बदला जाता है। इस रस्सी जैसी संरचना स्पिनिंग मशीन से धागा बनाया जाता है। चरखे और तकली से भी धागा कात सकते हैं।

बुनाई: कपड़े बुनने के दो तरीके होते हैं। अंग्रेजी में इन्हें वीविंग और निटिंग कहते हैं। लेकिन हिंदी में दोनों तरीकों के लिए बुनाई शब्द का ही प्रयोग होता है। एक तरीके में एक ही धागे से कपड़ा बुना जाता है, जैसे स्वेटर या मोजे बुनना। दूसरे तरीके में धागों के दो समूहों से कपड़ा तैयार किया जाता है। इसके लिए करघे का इस्तेमाल होता है। करघे को हाथ से या बिजली से चलाया जाता है।

रुई के उपयोग: रुई से कई तरह के कपड़े बनाये जाते हैं। उदाहरण: तौलिया, बिछावन, परदा, साड़ी, कुर्ता, फ्रॉक, आदि। रुई को तकिये और रजाई में भरा जाता है।



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